शनिवार, 8 जून 2013

नमस्कार दोस्तों ,
मेरा नाम हेमंत सिंह है! मैं जिस शहर में रहता हूँ आये दिन अपने चारो तरफ लोगों को अंधविश्वास का ढोंग करते देखता हूँ जैसे बिल्ली का रास्ता काटना ,दूध का उबल कर गिर जाना ,छत पर काले कौवे का बोलना ,घर से बहार जाते समय किसी का टोकना ,इत्यादी !

दोस्तों मै आप लोगों को यह बताना चाहता हूँ की ,पुराणी धारणाओ
पर विस्वास करिए लेकिन अंधविश्वास मत रखिये ! लोगों के कहने पर अपने आप को उनके अनुसार मत चलाइये ,,,,!
आप खुद इतने काबिल है की अपना अच्छा बुरा समझ सकते हैं !
आज कल कुछ बाबा टी.वी पर चमत्कार करने का दावा करते हैं , और हमारे ही कुछ दोस्त, भाई, बेहने उनके शिकार बन जाते हैं ! आप ही लोग मुझे बताए की क्या बाबा या फ़क़ीर हमारे जीवन में हमसे ज्यादा ऐहमियत रखते हैं !

 तोड़ो अंधविश्वास 




अब मैं आप लोगो को कुछ उधाहरण देता हूँ जो मेरे सामने घटित हुए :-----
१.उत्तराखंड के मेलाघाट खातिमा नामक एक छोटे-से गांव में दों वृक्षों का प्रतिवर्ष भव्य पैमाने पर विवाह कराया जाता है।

कई साल पहले बरगद के वृक्ष की एक शाखा पीपल के वृक्ष से लिपट गई। गांव वालों ने इस घटना को अंधविश्वास का रूप देते हुए, इन दोनों वृक्षों को पिछले जन्म के बिछड़े हुए प्रेमी-प्रेमिका मान लिया। बस, तभी धूम-धाम से इनका विवाह करवाया गया।

जब एक बार विवाह होने के बाद फिर दूसरी बार क्यों? लेकिन अब इस गांव में हर साल इन दोनों वृक्षों का विवाह कराने की परम्परा चली पड़ी है। स्थानीय लोगों का मानना है कि ये विवाह संपन्न करवाने से उन्हें पुण्य की प्राप्ति होती है। ये दोनों वृक्ष पूरे गांव की रक्षा करते हैं और गांव को दैवी आपदाओं से बचाते हैं।

यहां की निवासी शकुन्तला के अनुसार, बरगद और पीपल के विवाह के बारे में उन्होंने काफी कुछ सुन रखा था, लेकिन पहली बार उसे देख रही हैं। गांव के सारे लोग इस समारोह में काफी उत्साह से भाग लेते हैं, क्योंकि यह गांव की सुख-समृद्धि के लिए बहुत महत्पूर्ण है।

इस अनोखे विवाह को पूरा गांव वैदिक कर्मकाण्डों के अनुसार करवाता है। इस विवाह के दौरान पीपल के वृक्ष को दूल्हा और बरगद को दुल्हन माना जाता है। विवाह के दौरान इन दोनों वृक्षों को सफेद वस्त्रों से लपेटकर सजाया जाता है।

दूर-दूर से हजारों लोग इस समारोह में भाग लेने के लिए आते हैं। सालों पुरानी यह परम्परा आज भी इस गांव में बड़े धूम-धाम से मनायी जाती है।